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हमारे बारे में

समरथ गौशाला एंड रिसर्च सेंटर का मुख्य उद्देश्य गौमाता को उनका स्थान प्राप्त कराना है, जो भगवान श्री कृष्ण जी के समय पर हुआ करता था और हम इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि गौमाता बचेंगी तो देश बचेगा। यह हमारी संस्कृति का आधार हैं। आज समाज की बुरी हालत इसीलिए है क्योंकि हमने गौमाता को घर से निकाल दिया है। गौमाता में ३३ कोटि देवी-देवताओं का वास होता है और हम यह कैसे सोच सकते हैं कि कोई भी देवी-देवता हम पर प्रसन्न हो जाएंगे जबकि गौमाता दुख में है।
भगवान श्री कृष्ण जी भी कहते थे कि उनका सबसे प्रिय समय वही होता था जब वह अपनी पूजनीय गौमाता को चराने के लिए ले जाते थे और गौमाता के चलने से जो धूल उड़ती (गौधूली) थी, वहीं उन्हें प्रिय थी। यानी कि गौमाता श्री कृष्ण जी की भी पूजनीय हैं। श्री राम जी के वंश की उत्पत्ति का कारण गौमाता ही हैं। माॅं शब्द की उत्पत्ति भी गौमाता के कारण ही हुई है। गौमाता जब बोलती हैं तो माॅं शब्द की अनुभूति होती है और भगवान नारायण ने तो साक्षात कामधेनु ही प्रदान किया था। गौमाता साक्षात कामधेनु हैं। हृदय से भागवत भाव रखते हुए गौमाता की सेवा करने से सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। विद्या की प्राप्ति गाय से, बुद्धि की प्राप्ति गाय से, संतान की प्राप्ति गाय से, धन की प्राप्ति गाय से, ब्रह्म विद्या की प्राप्ति गाय से, यहां तक की भगवान की प्राप्ति भी गाय से ही होती है। जब तक संसार में गौमाता को उनका स्थान नहीं मिलेगा तब तक संसार दुखों और अंधेरों में जकड़ा रहेगा। इसीलिए हमारा यही प्रयास है कि गौमाता को उनका दर्जा दिलाएं और इसका सौभाग्य हमें स्वयं गौमाता ने दिया है। समरथ गौशाला एंड रिसर्च सेंटर गौमाता का अनुसंधान केंद्र है जो सिर्फ़ और सिर्फ़ शास्त्रों के अनुसार ही काम करता है। हमारा उद्देश्य भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाना है और उसका एकमात्र समाधान गौमाता ही हैं। गौमाता भी वही जो हमारे भारत की नस्ल की हैं, विदेशों से आई नहीं। और यह सिर्फ़ कहने की बात नहीं है, इसके पीछे बहुत बड़ा वैज्ञानिक तथ्य भी है। इस बात का ज़रूर ध्यान रखें और हमारे इस सपने को पूरा करने में हमारा अधिक से अधिक सहयोग दें।
सभी को जय गौमाता, जय गोपाल, वंदे गौमातरम्।

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